एक बहुत अच्छी मजेदार कविता। आप भी पढ़ कर आनंद लीजिए 😍😊
ना कोई इलाज, ना टीका ना इसकी कोई दवाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
काम कर रहे हैं घर का मालिक मालकिन
मुफ्त में पगार ले रही काम वाली बाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
काम धंधे का है मीटर डाउन,
फुल ड्यूटी है पाजामा और गाउन
अलमारी में बंद पड़े, हंस रहे पेंट शर्ट और टाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
रूक गये सारे सैर सपाटे, बंद हो गई सब विदेश यात्राएं
अब तो चारों धाम, घर की लुगाईं है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
बंद हो गए सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट ना कहीं मिठाई है
घर की दाल रोटी में रहो खुश, ये ही अब सबकी रसमलाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
हाथों को धोएं बार बार, मुंह पर लगाएं मास्क
घर मौहल्ला शहर रखें साफ़, इसमें सबकी भलाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
घर में रहें सुरक्षित और ईश्वर से करें ये प्रार्थना
क्योंकि जब जब मुसीबत आई है, उसने ही करूणा बरसाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है