उँगलियाँ यूँ न सब पर…
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो;
खर्च करने से पहले कमाया करो;
ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे;
बारिशों में पतंगें उड़ाया करो;
दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर;
नीम की पत्तियों को चबाया करो;
शाम के बाद जब तुम सहर देख लो;
कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो;
अपने सीने में दो गज़ ज़मीं बाँधकर;
आसमानों का ज़र्फ़ आज़माया करो;
चाँद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ;
ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो।
Nyc