डगमाये से है कदम क्यू ना …
आज रंगीनियत की शाम लिख दूं
पाकेट में है रकम बेहिसाब
सोचता हूँ किस्मत ..क्यू ना
उस बेवफा के नाम लिख दु …
इल्ज़ामात है हम पर बहुत खामोशियों के .. क्यू ना
गुजरता हुआ एक सलाम उसके नाम कर दूं।
ब्या करती है कुछ दर्द उस घर की दीवारे पुरानी …क्यू ना
आज उनकी भी मरम्मत का कुछ इन्तेजाम कर दु
डगमाये से है कदम क्यू ना …
आज रंगीनियत की शाम लिख दूं
पाकेट में है रकम बेहिसाब
सोचता हूँ किस्मत ..क्यू ना
उस बेवफा के नाम लिख दु ..
From :: Hritesh Jaiswal