माँ कहती है,
तू इस बार आना,
तो घर की टूटी छत मरम्मत करवा जाना,
रिस रिस कर बारिश में,
घर तालाब सा बन जाता है,
पापा तेरे कुछ हद
तक तो संभाल लेते है,
पर मुझे घर दरिया सैलाब सा लग जाता है,
राशन वाले बनिया की भी,
हम पर कुछ बाकि उधारी है,
सुबह शाम रोज एक आवाज में
याद दिला जाता है..
तू इस बार आना..
उसका भी थोडा कर्ज चूका जाना
तेरे पापा के सर पे ये बोझ भारी है..
मैंने अभी कुछ दिनों पहले ही
मिटटी का नया चूल्हा बनाया है,
कांच और गुड रखकर खूब तपाया है,
और तुझे चूल्हे पर बनी मोटी रोटिया
पसंद है ना,
तू इस बार आना,
रोटिया तो बनाउंगी ही
तू साथ में भरता और छटनी का
स्वाद भी चख जाना..
मैं एक बात बताना तो भूल ही गयी,
वो बिमला है ना पड़ोस वाली काकी,
उसकी लड़की फिर फेल हो गयी,
बाकि हमारा हाल बढ़िया है,
पापा तेरे शतरंज की चालो में
और मैं घर के कामो मे व्यस्त है
बस तेरे पापा अक्सर कहा करते है
तू इस बार आना
तो घर की छत मरम्मत करवा जाना…
घर की छत मरम्मत करवा जाना…
BY: रितेश जायसवाल