हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं,
और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम..!!
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बिखरने दो होंठों पे हँसी की फुहारों को,
प्यार से बात कर लेने से दौलत कम नहीं होती..!!
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हमारे जीने का तरीका थोडा अलग हे ,
हम उमीद पे नहीं , हमारे जिद पर जीते है..!!
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वक़्त-बेवक्त आ जाती हैं तुम्हारी यादें भी,
खैर हमने भी कौन सा वक़्त देखकर तुमसे मुहब्बत की थी..!!
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बड़ी सादगी से उसने कह दिया रात को सो भी लिया कर,
रातो को जागने से मोहब्बत लौट नहीं आती…
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बारिशों में भींगना गुज़रे ज़माने की बातें हो गई,
कपड़ों की क़ीमतें मस्ती से कहीं ज्यादा हो गई…
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खुदा जाने कौन सा गुनाह कर बैठे हैं हम,
कि तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे हैं।
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चाँद का मिज़ाज़ भी तेरे जैसा ही है,
जब देखने की तमन्ना हो तो,
नज़र ही नहीं आता |
Tabdilliya jab bhi aati hai mousam ki in aadaon me ,, uska yu badal jana accha nhi lagta ,, SM