अब किसी और से मुहब्बत करलू तो शिकायत मत करना
ये बुरी आदत भी मुझे तुमसे ही लगी है….
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जिन्दगी भर कोई साथ नहीं देता यह जान लिया हमने लोग तो तब याद करते हैं जुब वह खुद अकेले हों!!!……
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तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास…तेरा ख्याल..!!!
तू खुदा नहीं ….फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है…!!
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नया कुछ भी नहीं हमदम वही आलम पुराना है
तुम ही को भुलाने की कोशिशें और तुम ही को याद आना……….
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तुझें भूलना भी एक तरीके की जीत हैं मेरी
क्यूँकि इतनी मेहनत मैंने तुझे पाने के लिए भी नहीं की थी
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इस कदर बट गए है ज़माने में सभी…….
अगर खुदा भी आकर कहे”मै भगवान हूँ….”..
तो लोग पूछ लेंगे किसके…?
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कितने झूठे हो गये है हम…!..
बचपन में अपनों से भी रोज रुठते थे…!!..
आज दुश्मनों से भी मुस्कुरा के मिलते है..
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तेरी सादगी का हुस्न भी लाजवाब है…
मुझे नाज़ है के तू मेरा ख्वाब है…।